मेरठ में ऐतिहासिक प्रांतीय नौचंदी मेले का हुआ उद्घाटन
मेरठ में ऐतिहासिक प्रांतीय नौचंदी मेले का शुभारंभ रविवार ,23 मार्च को पारंपरिक तरीके से हुआ. अधिकारियों ने पूजा अर्चना के उपरांत रिबन काटकर मेले का उद्घाटन किया. रिबन काटने के बाद कबूतर उड़ाए गए और सफ़ेद गुब्बारे आसमान में छोड़े गए। यह मेला भाईचारे, सद्भावना और एकता का प्रतीक माना जाता है. शहर की जनता को पूरे साल नौचंदी मेले का इंतजार रहता है. होली के बाद दूसरे रविवार को नौचंदी मेले का उद्घाटन किया जाता है.
भाईचारे और एकता का प्रतीक है यह मेला
एकता का प्रतीक कहे जाने वाला नौचंदी मेला उद्घाटन के दिन ही विवादों में घिर गया। इस वर्ष मेले का आयोजन नगर निगम कर रहा है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने मेरठ के मेयर के पहुंचने से पहले ही उद्घाटन संपन्न कर दिया। इसके अलावा, बालेमियां की मजार पर चादरपोशी के दौरान भी मेरठ के मेयर को शामिल नहीं किया गया। इस बात पर मेयर समेत सभी पार्षदों ने प्रशासन की कार्यशैली पर नाराजगी जताई और मुख्यमंत्री से शिकायत करने की बात कही है।
शासन ने नौचंदी मेले को प्रांतीय मेला घोषित किया है, जिसके तहत एक वर्ष इसका आयोजन जिला पंचायत करता है, जबकि अगले वर्ष नगर निगम इसे आयोजित करता है। इस क्रम में इस बार मेले की जिम्मेदारी नगर निगम को सौंपी गई थी। हालांकि, नगर निगम के महापौर हरिकांत अहलुवालिया का न तो उद्घाटन के निमंत्रण पत्र पर नाम शामिल किया गया और न ही उद्घाटन समारोह में उन्हें आमंत्रित किया गया।
प्रशासनिक अधिकारियों ने किया अपमान
मेरठ के मेयर हरिकांत आहलुवालिया ने कहा की, यह सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि भाजपा के सभी जनप्रतिनिधियों का अपमान है। प्रशासनिक अधिकारियों ने न तो निमंत्रण पत्र में हमारा नाम शामिल किया और न ही भाजपा के किसी सांसद, विधायक या संगठन के पदाधिकारियों को उद्घाटन कार्यक्रम में आमंत्रित किया। हमारे नौचंदी मेले में पहुंचने से पहले ही अधिकारियों ने उद्घाटन कर दिया, जो सरासर अपमानजनक है।
इतना ही नहीं, चंडी मंदिर में पूजन के दौरान हमें पूजा में बैठने के लिए नहीं कहा गया और न ही बालेमियां की मजार पर चादरपोशी के दौरान हमें साथ ले जाया गया। हमने इस अपमानजनक व्यवहार की जानकारी सभी जनप्रतिनिधियों और संगठन को दे दी है।